इश्क की गलियोंमे....

Started by Parshuram Mahanor, February 28, 2018, 09:38:31 AM

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Parshuram Mahanor

यहा हर शख्स के चेहरे बहुत है,
मासूम आँखोंमे राज गहरे बहुत है,

धुंधला सा दिखता है हर इंसान यहाँ,
तुम्हारे शहर मे कोहरे बहुत है,

हमे तो आदत है मैफिलों मे झूमने की
दिल के समंदर में लहरे बहुत है,

यहा हर कदम संभाल के रख मेरे दोस्त,
इश्क की गलियोंमे हुस्न पे पहरे बहुत है....!

-परशुराम महानोर

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