दिवारें

Started by शिवाजी सांगळे, May 26, 2018, 05:08:31 PM

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शिवाजी सांगळे

दिवारें

दिवारें जो शायद बोल उठती?
ना जाने कितने राज खोलती,
खुशियों को दबाये हुये सीने में
गमों को याद कर अकेले रोती!

तस्वीरें जो सजाई थी सीने पर
समयके थपेड़ो मे धुंधली होती,
टूटते हुये रिश्तों को देख कर वो
चाहकर भी रंग नहीं बदलती!

© श्री शिवाजी सांगळे 🎭
संपर्क:९५४५९७६५८९
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