एक दौर ऐसा भी हुआ करता था

Started by yogita ghumare, May 30, 2018, 07:57:08 PM

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yogita ghumare

एक दौर ऐसा भी हुआ करता था,
जब शामें सुहानी हुआ करती थी
और हम चाँद को तकते तकते
रात की मदहोशी में खो जाया करते थे।

एक दौर ऐसा भी हुआ करता था
जब सपनों की दुनिया  अपनी थी,
और  हर दुःख के समंदर में
अपनों का किनारा  हुआ करता था ।
ना जाने  कहाँ खो गया  वो  दौर
जहाँ हर गम के अँधेरे में
खुशी का सहारा हुआ करता था।

                                                         -  योगिता घुमरे

कवि - विजय सुर्यवंशी.