उदासी

Started by Shraddha R. Chandangir, June 09, 2018, 10:24:28 PM

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Shraddha R. Chandangir

दिल की दहलीज़ पर ताला पड़ा रहता हैं
मुसलसल उदासी से, पाला पड़ा रहता हैं।
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इस क़दर फ़ाक़ा मिरी क़िस्मत में आया हैं
देर तलक हाथ में, निवाला पड़ा रहता हैं।
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पहलू से अंधेरे के, क्यूँ रातरानी महकी
सोच सोच के सवेरा काला पड़ा रहता हैं।
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लडखडा क्या गए ज़रा, नादानी में कदम
संग आते हर पैर में, छाला पड़ा रहता हैं।
~ श्रद्धा
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कवि - विजय सुर्यवंशी.

#1
लडखडा क्या गए ज़रा, नादानी में कदम संग आते हर पैर में, छाला पड़ा रहता हैं।
अतिशय सुरेख ओळी लिह्ल्या आहेत...... :) :) :) :) :) :) :)