परदेस

Started by १. मनिषा गुर्जर, June 18, 2018, 12:32:20 PM

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१. मनिषा गुर्जर

साजन हैं परदेस
ना खबर, ना रस्ता
कैसे बुलाये उन्हें
कैसे भेजे संदेस

अकेला छोड़ा इस देस
दिल तोड गये
छलियेसे प्यार किया
दिल को लग गयी ठेस

उनको रहना था परदेस
बहाने बनाकर चले गये
रहे जहाँ खुशी हो वहां
हमें तो रहना है उदास

अखियों में पानी, है आस
समझेंगे वो मेरा प्यार
मन में हे वो सूरत
अपना माना, है वो खास

क्यो मिले, जाना था परदेस
प्यार उनका झूठा था
विरह मेरे नसीब में
साजन हैं परदेस



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