न मैंने ख्वाब देखा हैं न मैंने दिल लगाया हैं ........(ग़ज़ल काव्य)

Started by SHASHIKANT SHANDILE, June 20, 2018, 01:32:49 PM

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SHASHIKANT SHANDILE

न मैने ख्वाब देखा हैं न मैने दिल लगाया हैं
हक़ीक़त जान कर मैंने मुहब्बत को भगाया हैं

बड़ी बेकार है इसकी पकड़ तुम हात ना आना
बड़ी बेख़ौफ़ हो इसने दीवानों को ठगाया हैं

करो कोशिश रहें बचके न इसके साथ जा पाएं
बड़ी शिद्दत भरी आवाज में ये गीत गाया हैं

न जानें याद क्यों ऐसे रुलाएं जान ना पाया
बिना बारिश नहाएं जो निगाहों ने भिगाया हैं

अचानक सामने गुजरा न जाने कौन साया था
मगर जाते हुए दिल में मुहब्बत को जगाया हैं

शशिकांत शांडिले, नागपुर
भ्र.९९७५९९५४५०
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