मुरादमन

Started by sachinikam, August 03, 2018, 04:57:05 PM

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sachinikam

मुरादमन

स्वछंद बेधुंद हे क्षण
नि बरसले आनंदघन
आज आत्ता एवढ्यात
कसे हरकले "मुरादमन"


कालचे कशाला सांगायचे
उद्याचे उद्याला बघायचे
आज आत्ता एवढ्यात
"मुरादमन" जगायचे...
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कवी: सचिन कृष्णा निकम