अगस्त क्रांती

Started by sachinikam, August 09, 2018, 02:10:48 PM

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sachinikam


अगस्त क्रांती

इस बार जो बिजली कड़की है
आग दिलोंमे भड़की है
नहीं रूकेंगे, नहीं झुकेंगे, आगे बढ़ेंगे हम
नहीं हटेंगे, युँही डटेंगे, जीत जायेंगे हम ।

क्रांती की मशाल लिए है कौन आया
देखो देखो मिट गया सारा घना साया
साथ चलो साथ चलो, ज्योतसे ज्योत जलात चलो
हात खोलो हात खोलो, विजयी गीत गात चलो ।

जन गण मन है एकही तमन्ना
हमको है अब साथमे चलना
कुशल सुमंगल सौभाग्य बनाने
निकले है हम सब अंधेरा मिटाने।
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कवी: सचिन कृष्णा निकम, पुणे.
कवितासंग्रह: मुखदर्पन, गीतगुंजन
sachinikam@gmail.com
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