भूल.....

Started by Ashok_rokade24, August 12, 2018, 11:10:45 AM

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Ashok_rokade24

रिश्तोंकी भिड लगी है  ,
फीरभी तनहाँ रहते है ,
गुंगी बहरी दिवारे है ,
बाते करते रहते है ,       

गैरों को तो समझ लिया ,
अपनोंका पता न चला ,
तीर हजारो चलते रहे , 
हँसकर सारे सहते है ,     

दस्तक खुशीयाँ देती रही ,
बोझ अपनोका ऊठाते रहे,
टूट गयी उम्मीदे सारी ,
अब आँसू अपने गिनते है ,

तनहा बैठे अँधेरे में ,
भूल पर अपनी हँसते है ,
पराये तो फीरभी पराये है ,
अपने भी पराये होते है ,   
   
लाख ठोकरे खायी लेकीन ,
आँस अभी भी बाकी है ,
जबतक साँस  चली है ,
राह अपनी चलते है ,       😯

                         अशोक मु . रोकडे.
                           मुंबई.