कर्तृत्व कर

Started by sachinikam, August 22, 2018, 11:55:50 AM

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sachinikam

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कर्तृत्व कर
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वक्तृत्व पुरे कर्तृत्व कर
प्रयत्न कर, कर सर शिखर
जोखीम घे तू लढ निडर
फिरूदे चौफेर करडी नजर
थांबू नको चल बेफिकर
दाखवून दे तुझे जिगर

दे धडक भिड बेधडक
पडो अंधार वा ऊन कडक
दलदल असो कठीण खडक
होऊनि स्वार वाऱ्यावर फडक
पेटो अंगार लाल भडक
वहिवाट ही जीवन सडक

पडू नको निष्क्रिय तू
सडू नको अप्रिय तू
रडू नको हो सक्रिय तू
दडू नको जितेंद्रिय तू
लढू न्यायासाठी क्षत्रिय तू
कडू सत्यासाठी हो प्रिय तू.
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कवी: सचिन कृष्णा निकम, पुणे.
कवितासंग्रह: मुरादमन
sachinikam@gmail.com