सच्चाई का झुठा कफन

Started by कवी अमोलभाऊ शिंदे पाटील, August 31, 2018, 06:50:44 AM

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कवी अमोलभाऊ शिंदे पाटील

*माझी हिंदी रचना खूप दिवसांनी लिहली आहे*

*शीर्षक.सच्चाई का झुठा कफ़न*

जहऱ भी पिया करेंगे
बस तू एक बार हाँ बोल दे
दुनियाने तो ठुकराही दिया हैं
इस बात का तू राज खोल दे

तेरा यूँ बात बात पे रुठ जाना
अब अच्छा नहीं लगता
इसांन हूँ गलती हुआ करती हैं
तेरे चेहरे का रंग अभी सच्चा नहीं लगता

यूहीं संभाललेंगे जिंदगी
इमान तू अपने पास रखंले
मुझे भी दामन में छुपाकर
कभी कभी न चाहकर देखले

मसीहा हुं मैं प्यार का
तू जायेगी एक दिन ठुकराकर
जलते रहेंगे ओ दिये भी
जो चढाये जायेंगे कफनपर

भर लिया करो हमें अश्को में
दिखावा करने में काम आयेंगे
लब्ज तो झुटे शान से बोलते हैं
कहतें हैं हम भी मिलनें आयेंगे

सच्चाई का झुठा कफन
ओढ लूँगा एक दिन मैं
मिलने की आस लिये बैठा हूं
ओ रास्ता भी ढूंड लूँगा मैं

✍🏻(कवी.अमोल शिंदे पाटील).
मो.९६३७०४०९००.अहमदनगर