ठुकराकर यूँ हमें

Started by कवी अमोलभाऊ शिंदे पाटील, September 07, 2018, 11:14:43 AM

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कवी अमोलभाऊ शिंदे पाटील

*शीर्षक.ठुकराकर यूँ हमें*

इन्तहां तुने इतना लिया
मौत भी अब काँप रही हैं
रास्ता भटक रहा था दिलजला
नसीब भी ओ अब सौप रही हैं

दिलं से अब क्या कहूँ
जोडने वाला हीं तोड रहा हैं
जिस दिन देखां उसे
ओ हीं आज मूँह मोड रहा हैं

कह देना तू हमसे
अब लगाव नहीं लगता
प्यार करने को ओ
अब जवाब नहीं लगता

इतनी भी क्या गलती हूँई
तुम तो ठुकराकर चल दिये
पराया समजकर आप हमें
आंसूंओ में भिगोकर चल दिये

छूकर देखणे सें क्या होगा
ये सनम तू तो दिलं में बसी हो
ठुकरा कर यूँ हमें अब कहती हो
आँखें देखी दिलं के अंदर नहीं देखा

✍🏻(कवि.अमोल शिंदे पाटिल).
मो.९६३७०४०९००.अहमदगर