हे गणपती मंगलमुर्ती

Started by sachinikam, September 23, 2018, 03:03:11 PM

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sachinikam


हे गणपती मंगलमुर्ती

हे गणपती मंगलमुर्ती
दुमदुमली हां तुझीच किर्ती
खुलले अंबर नाचली धरती
दर्शनास भक्तांची भरती
नामघोषाने हां येई स्फुर्ती
एकमुखाने गातो आरती.

बाप्पा मोरया आले अंगणा
आरास मंडपी पताका गगणा
उत्सव आनंदी सोहळा देखणा
ढोल ताशे निनाद गर्जना
स्वागता सज्ज देवा गजानना
शुभकार्याची दे आम्हांस प्रेरणा.
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रचना: सचिन कृष्णा निकम, पुणे.
कवितासंग्रह: मुरादमन
sachinikam@gmail.com
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