लेकिन सीमा होती हैं ........

Started by SHASHIKANT SHANDILE, October 01, 2018, 01:25:34 PM

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SHASHIKANT SHANDILE

माना कि संस्कार तुम्हारा
विवेक कभी न खोना हैं
कोई कितना कड़वा बोले
काम मगर सह जाना हैं

लेकिन भैया कब तक ऐसे
आँख मूंदकर बैठोगे
अधिकार अपने हिस्से का
गैरों को फोकट बाँटोगे

बंदर सारे उछल उछल कर
तुमको आँख दिखाते हैं
हक छीन कर आज तुम्हारा
तुमको बोल सुनाते हैं

माना अपना दिल बड़ा हो
लेकिन सीमा होती हैं
किस काम की ये जिंदगी
सब कुछ सह कर रोती हैं
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शशिकांत शांडिले, नागपुर
भ्र.९९७५९९५४५०
Its Just My Word's

शब्द माझे!