आई एक प्रेमपाखरू

Started by ganesh pingale, November 15, 2018, 09:40:27 AM

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ganesh pingale

माझ्या  जीवनातील  ही  माझी  सर्वांत पहिली  पोस्ट. मी  ही  लिहली  कारण मी तिला  अनुभवली आणि ती  क्षणभर  का  होईना  एकदम आनंद  देऊन  गेली.
असेच न  कळत  मी  आई  शेजारी  बसलो आणि  कुणास  ठाऊक मी आई  ला  सहज  विचारले
"आई  लहानपणी तु  माझा  कसा  सांभाळ केला  अशील ग " त्याच  वेळी आई  ने  मला  लहानपणी ज्या  वेळेस  मला कळत नव्हते त्या वेळेची  अनुभूती  करून  दिली आणि  तिच्या  डोळ्या  मध्ये  तिने माझ्या  साठी  घेतलेल्या  कष्टचि  झलेल्या  सुख  दुःख  ची  जाणीव  करून दिली. मी  ऐकलेल्या  व्याख्या   ची  साक्ष  मला  भेटली. आ  म्हणजे  आत्मा  आणि  ई  म्हणजे  ईश्वर यांचा  संगम  म्हणजे  आई.
ज्या  प्रमाणे  एखदा  दिव्य  पुरुष एखाद्या  वेक्तीला  त्याचा  जीवनाचा खरा  अर्थ  समजून  सांगतो  त्याच  प्रमाणे मला  भासले. आई  च्या  व्यख्या  करणारे  खूप  असतील आणि  होतील  ही. पण    मनातून  जो  आई  ला  समजला  तो  धन्य  झाला. रोज  च्या  जीवनात आई  ला ठरल्या पेक्षा जरा  वेळ तर  देऊन  बघा. आई  ची  माया  ही  ज्ञान सारखी  असते  जी  कधी  संपत  नाही  आणि  कुणाला  संपू  ही  देत  नाही.  ज्यांनी  आपल्याला  जन्म  दिला  आपले  हगने  मुतणे  केले  त्याना  आपल्याकडून  काही  जास्त  अपेक्षा  नाही त्यानी  जे आपल्याला  सुख  दिले  तेच  परत  करणे ही हे  जीवन  संधी  आहे.  कधी  देव  पूजा  केल्यावर  आवर्जून  आई  च्या  पाया  पडा देव  असल्याची  जाणीव   होईल. "आई  पाया  पडू  दे " इतकेच  म्हंटल्यावर आपल्या  मनातील दुर्गुण झडत  असल्याची  जाणीव  होईल.  तिने  दिले  ला  आशीर्वाद हा  खूप  मोठा असतो  तो  तुम्हाला  यशस्वी  बनूनच  सोडतो. जर  जीवनात  एखदे  शुभ  कार्य  करणार  असेल  तर देव चे  नाव  घेताच  त्या सोबत आई  वडिलांचा  चेहरा  आठवा मग  बघा  हे  जग  तुमच्या  पायाशी  असेल.


(ही  मी  तयार  केलेली  पोस्ट  आहे मी  कोणी  लेखक  नाही  त्यामुळे  काही  चूकले  असेल  तर क्षमस्व आवडले  तर आचरणात  आणा  )


                    स्वतः  गणेश पिंगळे