जिंदादिली (हिंदी कवितासंग्रह: गीतगुंजन, कवी: सचिन निकम)

Started by sachinikam, December 06, 2018, 12:31:52 PM

Previous topic - Next topic

sachinikam


जिंदादिली (हिंदी कवितासंग्रह: गीतगुंजन, कवी: सचिन निकम)

है होश भी, है जोश भी
कुछ करने का आक्रोश भी
क्यों बैठे हो खामोश तुम
ये नया दौर का नया जोर
दिली दिली दिली जिंदादिली
मिली मिली मिली खुशियाँ मिली
यारों यही है जिंदादिली

वक्त का पैय्या घूमे है
कोई ना उसको रोके है
तो हम क्यों रुके, हम क्यों झुके
आगे बढ़ना ही जिंदगी है
हात मिलाओ हात बटाओ
दुनिया को अपना घर बनाओ
दिली दिली दिली जिंदादिली
मिली मिली मिली खुशियाँ मिली
यारों यही है जिंदादिली

मुठ्ठी में लेके ताकत और मनमे विश्वास
घूमेंगे ये धरती और चूमेंगे आकाश
निकली है कश्ती तुफानमें चीर कर दर्या
नहीं डरेंगे नहीं हटेंगे हैय्या हो हैय्या
दिली दिली दिली जिंदादिली
मिली मिली मिली  खुशियाँ मिली
यारों यही है जिंदादिली