गुजरती जिंदगी

Started by ganesh bunde, December 18, 2018, 05:15:31 PM

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ganesh bunde



   गुजरती जिंदगी

अब तो वक्त भी यूही गुजर नही जाता 
कितना भी रोकु इसे रोकना नही आता
बचपण बडा खुष्णुमा गुजर गया
माँ बाप छाव मे
अब जीम्मेदारीयो कि जंजिरे जैसे
बांध दि हो पाव मे
अब तो कोई लम्हा भी ख़ुशी का नजर नही आता
हम तो वक्त बहाव बहते जा रहे है
कोई पूछे हाल दिल का ,
खुश हू केहते जा रहे है
तरसते है अब तो ख़ुशी के लिये,
पर ख़ुशी का मंजर नही आता
बडे अरमान तो नही जिंदगी मे मेरे
फिर भी क्यू इतने कांटे है बिखरे
मेहनत तो लाख करता हू पर हाथ मे कुछ नही आता