दिल मचल मचल गया (गीतकार: सचिन निकम, किताब: गीतगुंजन)

Started by sachinikam, December 20, 2018, 04:04:27 PM

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sachinikam

दिल मचल मचल गया (गीतकार: सचिन निकम, किताब: गीतगुंजन)

नजरें जो मिल गयी, जादू ये चल गया
लो मुझको संभालो, मैं तो फिसल गया
पहले कभी नहीं, बंदा उछल गया
दीदार यूं हुआ, दिल मचल मचल गया ॥ ध्रु. ॥

हम तो हुये आशिक, देखा तुम्हे जबसे
सजधजके निकले है, हम यारों तबसे
तू है मेरी दिलरुबा, कहते फिरते सबसे
बस तू हां करदे, यही दुआ है रबसे
तू आयी इस तरह, समा बदल गया
इकरार यूं हुआ, दिल मचल मचल गया ॥ १. ॥

फूलों की ये बगियाँ, तितलियों की क्यारियाँ
किस्मतसे मिलती है, अपनों की यारियाँ
है कितनी सुहानी, सपनों की ये दुनिया
मैं तेरा जानेमन, तू मेरी जानिया
कबसे संभाला था, ये सिक्का चल गया
ऐतबार यूं हुआ, दिल मचल मचल गया ॥ २. ॥