ab aao to sada ke liye anaa

Started by siyahi, February 06, 2019, 12:15:40 AM

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siyahi

अब आओ तो सदा के लिए आना
मुरझाएं फूल की तरह मुझे छोड़ न जाना
चाहें मेरे लिए तोफा न  लाना
मगर उम्र भर का साथ जरूर लाना
तुम्हें क्या पता हैं ? काटे हैं दिन कैसे मैंने
जैसे बारिश के बिना ये धरती सहमे
के अब आओ तो
बारिश ज़रूर संग लाना
सेहमीसी धरती पर उसे बरसाना
धरती वो मचल उठेगी फिरसे
नदियाँ बहने लगेगी फिरसे
के फूल भी महकाएँगे गलियां
और तभी में ओढ़ के चुनरियाँ
राह देखूंगी तुम्हारी
वही जहा तू मुझे मुरझाएं फूल सा छोड़  गया था कभी
के अब आओ तोह सदा के लिए आना
मुरझाएं फूल की तरह मुझे छोड़ न जाना
तुम्हे क्या पता हैं ? काटे हैं दिन कैसे मैंने
जैसे रौशनी के बिना मन ये सेहमें
के अब आओ तो दीपक ज़रूर संग लाना
रौशनी में अपना चेहरा मुझे दिखलाना
के मन यह उसी क्षण पिघल जाएंगा
अँधेरा रौशनी में ढल जायेगा
झिलमिला उठेंगे तारे सारे
तभी में आउंगी बाह पसारे
राह देखूंगी तुम्हारी
वही जहा तू मुझे मुरझाएं फूल सा छोड़ गया था कभी
के अब आओ तो सदा के लिए आना
मुरझाएं फूल की तरह मुझे छोड़ न जाना
तुम्हे क्या पता हैं ?काटे हैं दिन कैसे मैंने
जैसे ज़िन्दगी के बिना जग यह सेहमें
के अब आओ तो ज़िन्दगी ज़रूर संग लाना
मरी आत्मा को मेरी तुम अब जगाना
के फिर से जी लुंगी तुम्हारे साथ
करुँगी हर कठिनाई पर मात
सदा राह ताकुंगी तुम्हारी
वही खड़ी में बावरी बेचारी
जहाँ तू मुझे मुरझाएं फूल सा छोड़ गया था कभी
के अब आओ तो सदा के लिए आना
मुरझाएं फूल की तरह मुझे छोड़ न जाना ...........
Written by - Siyahi
nrityapriya29@gmail.com