खामोशी

Started by anandlaghate, May 07, 2019, 02:48:18 PM

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anandlaghate

यह खामोशी यु आवाज करती हैं।
बिना शब्दो के भी बात करती है।

कभी सवालो का जवाब देती हैं।
तो कभी खुद ही सवाल करती हैं।

है तुफा का ये आगाज भी,
रुठे मन का ये अंदाज भी।
कभी खुद से मुलाकात तो,
कभी अपनो से नाराजगी।

हैं कोई लमहा उदासी भरा,
तो खुशी का इंतजार भी।
हैं आज मूक मासूम पल,
तो मौन की लाचारी हैं कल।

किसीं की याद आती हैं,
किसीं को भुलाती हैं।
छुपाना हैं बहुत लेकिन
कभी सबकुछ बताती हैं।

कभी कठीन तपस्या हैं,
हैं आजीवन  मजबुरी।
कहीं कुछ पलों का हैं अहसास,
कभी जिंदगी भर की खमोशी।

यह खामोशी फिर आवाज नहीं करती.....

Kavi Anand Laghate