आरज़ू ..

Started by SHASHIKANT SHANDILE, August 07, 2019, 02:57:39 PM

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SHASHIKANT SHANDILE

जिंदगी में दर्द जैसे आजकल घटने लगे हैं,
दर्द को पर्दा किये हम ख़ुदबख़ुद हसने लगे हैं!

ख़्वाब आँखे देखलें वो नींद अब लाऊँ कहाँ से,
और हम यूँ पागलों से सोच में पड़ने लगे हैं!

एक वो नायाब दिल है चाहता हूँ बेतहाशा,
वो मगर ये सोचते है हम उन्हें ठगने लगे हैं!

जानता हूँ जिंदगी ये कल तलक थी गमजदा सी,
देखलों की ख्वाब इसमें कुछ नए सजने लगे हैं!

आरजू "एकांत" की तुम बेहतर है जान जाओ,
आप आओ जिंदगी में आस ये रखने लगे हैं! 
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(एकांत)
शशिकांत शांडिले, नागपुर
मो.९९७५९९५४५०
Its Just My Word's

शब्द माझे!