खर प्रेम

Started by anagha bobhate, February 24, 2010, 02:13:38 PM

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anagha bobhate

Author Unknown

खर  प्रेम


म्हणतात  " खर  प्रेम  "

कधीही  मारत  नसत

ते  तर  "अमर " असत

मग  ते  प्रत्येकाच्याच  मानगुटीवर  का  बसत ?

बर  बसले  तर  बसू  देत

पण  ते  खरच  आहे  हे  कशावरून ?

प्रेमात  म्हणे  माणूस 

आंधळा  होतो , बर  मग  याला 

प्रेम  दीसत  तरी  कस  ?

प्रेमात  म्हणे  माणूस 

वेडा  ही  होतो  , मग  याला  प्रेम  कळत  तरी  कस ?

बर  ज्याला  हे  खर  प्रेम  मीळत

त्याला  स्वर्गही  थोडे  असते

पण  लग्नानंतर  एकमेकांना  पडलेले 

सर्वात  मोठे  हेच  कोडे  असते

कारण  प्रेमच  भूत  मानगुटीवरून

केव्हाच  उतरलेलं  असत

मग  कळतात  दोष  कळतात  उणीवा

मग  तीच  तीच  भांडण  पुन्हापुन्हा

तीच  त्याला  ते  महानाने

"हे  तुमचे  नेहमीचेच  आहे

जरा  काही  मागितले  तर  म्हणे 

पगार  कमी  आहे 

येऊन  जाऊन  अडचण  नेहमी   

माझ्या  पाशीच  येते  "

आठवतात  मग  तीलाही 

माहेरचे  ते  सुख

येते  मग  डोळ्यात  पाणी

बाबा  म्हणायचे  मला  राणी

आणी इथे  करून  ठेवली  तुम्ही  माझी  नोकरांनी

बडबड  तीची चालूच  असते

तो  ही  बसलेला  असतो  कोचावर

टाय   ढीला  करून  , डोळे  मीटून

पायावर  पायाची  घडी  घालून 

थकलेला  असतो  दीवस भर  राब  राब  राबून "

प्रश्नांचा  ही  मग  त्याच्या  मनात

कल्लोळ  चालू  होतो  ,

जिच्यासाठी  मी  इतका  मर मर  मरतो

रात्रंदिवस  काम  करतो

जिच्यावर  मी  इतका  प्रेम  करतो 

तीच  मला  आज  अशी  बोलते

कळतात  मलाही  इच्छा  पुरवू  नाही  शकत

मी  ही  तीच्या  काही

पण  मग  सांगा  मी  ही  काय  करू

इच्या  सारी  कडे  बघू  की

आईची  ओउषध आणू

हीला एखादा  दागीना  करू  की

मुलांच्या  फी  चा  महीना  भरू  "

त्याचे  उत्तर  नाही  म्हणून  ती  आणखीनच  चीडते

मग  मात्र  तीच्या  एक  कानाखाली  पडते

मग  तीचाही बंध  सुटतो

ओक्साबोक्शी  रडू  लागते

केलेल्या  कर्तव्याची  आणी  मारलेल्या  इच्छांची

मग  ती  ही  यादी  वाचू  लागते

तुटपुंज्या  पगारात  घरखर्च   चालवून

बाकी  ठेवणारी  ही  तीच  असते

रात्र  रात्र  जागून  मुलांना  आणी  तुज्या  म्हातार्या 

आई  बाबांना  जपणारी  ही  तीच  असते

साठव्ल्ल्या  पैस्यातून

तुला  भेट  देणारी  ही  तीच  असते

त्यालाही  मग  पटते  त्याच्या  चुकीची  खुण

ती  ही  तशीच  झोपते  मग  कूस  बदलून

पण  रात्र  भर  डोळे  हे  दोघांचे  नुसते  झरत  राहतात

मग , खर प्रेम  काय  हे  नुसत्या  उघड्या  डोळ्यांनी  पाहत  राहतात .


sonaliash6

awesome..... apratim..... faarach chhan ahe kavita :)

gaurig

apratim.......... :)

त्यालाही  मग  पटते  त्याच्या  चुकीची  खुण

ती  ही  तशीच  झोपते  मग  कूस  बदलून

पण  रात्र  भर  डोळे  हे  दोघांचे  नुसते  झरत  राहतात

मग , खर प्रेम  काय  हे  नुसत्या  उघड्या  डोळ्यांनी  पाहत  राहतात .