अहसास..

Started by vnvaidya, August 25, 2019, 03:20:31 AM

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vnvaidya

आपका हर लब्ज दिल को छू लेता हैं
सूरज बनके अहसास उदासियोंको को पीछे छोड़ता हैं,

दिल तूटने का डर  नहीं हैं मुझे
डरता हु कही ये उदासियाँ तुम्हारी जिंदगी न बनजाये

चाहता हु की खुदा बनके सारी जिंदगी सवार दू...
लेकिन भूल जाता हु की ज़माने ने ही खुदा बनाया हैं.

और खुदगर्जी बंदिशे बनती हैं
और अहसास आतंक करते हैं...

पर दिल हैं की यादों में सुकुन ढूंढता हैं...

©️ वैभव नारायणराव वैद्य.
वैभव नारायणराव वैद्य