कामयाबी की सीख …. kamyabi ki seekh...

Started by puneumesh, October 10, 2019, 05:26:11 PM

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puneumesh

कामयाबी की सीख ....

औरों के गलतियों से जो सीखा वो है तालीम
खुद के गलतियों से जो सीखा वो है तजुर्बा
एक बिना दूजा - जैसे बिन बरसात का श्रावण
कामयाबी मांगे दोनोंका संतुलित मिश्रण

हर तरफ दौड़ मची हुई है
कामयाबी मांगे हर कोई
जख्म तो गेहरे झेलने होंगे
तौर तरीके पेहले सीख

जंग में जीतना है जरूरी
दाव पेच सीखना भी है जरूरी
जख्मोंको पालना भी सीख
गिर के संभालना भी सीख

जो मांगो मिलेगा वही
कायनात काम कर जाएगी
खुली आँख ख्वाब देखना सीख
ऊंची निगाहें लगाना सीख

अपनी राहें अपनी ठोकरें
ठोकरों को गले लगाना सीख
कोई और जिम्मेदार नहीं
जिम्मेदारी खुदकी लेना सीख

हर बार मुमकिन नहीं होगी जीत
कईं हार के बाद एक होगी जीत
हार में हसना मुस्कुराना सीख
हार को जीत में बदलना सीख

कल की बात कल पे छोड़
रोज नया सोचना सीख
दो कदम पीछे खींचना सीख
फिजा में फिरसे उड़ना सीख

अलग सोच और तंग राह
चुभते कांटे और जलता सूरज
चट्टानों के ख्वाब देखना सीख
कामयाबी का ताज पहन ना सीख

हर सूरज तेरा नहीं होगा
हर चाँद तेरा नहीं होगा
हालत पे काबू पाना सीख
सितारों से काम चलाना सीख

खंजर से गहरे लफ़्ज़ों के घाव
गहरे घाव से निकलती चीख
तोल मोल के बोलना सीख
लफ़्ज़ों से हल निकालना सीख

मक्कारी आसान लगे अक्सर
जंजीरों में होगी गुजर बसर
सच्चाई के इम्तेहान में भुनना सीख
इम्तेहान में अव्वल आना सीख

वक्त बुरा तो रिश्ते बुरे
वक्त सही तो रिश्ते भी सही
अपने पराये पहचानना सीख
अपनों के संग रेहेना सीख

रब ने दी है खूबसूरत जिंदगी
कायनात भी दी और दी है बंदगी
उसके इशारों को पढ़ना सीख
हँसते हँसते गुजरना सीख
.................. umesh, puneumesh