बचपन

Started by Vaibhav Bhalerao, October 20, 2019, 10:22:59 AM

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Vaibhav Bhalerao

                  ।।बचपन।। 
         
मासुमियत थी कभी उन आँखो में।
अब सपने नजर आते हैं।।

खुबसुरत हंसी भी थी उस चेहरे पर।
अब झुटी हरकते नजर आती हैं।।

बेखौफ थी वो जिंदगी।
अब कल की चिंता सताती हैं।।

जी रहा हूं मैं आज में।
पर आज भी बचपन की याद आती है।।
       
     -वैभव भालेराव(लोणी)

Prasad_khodave

सुंदर कविता👌