सहेली

Started by Mrs. Rashmi Sahasrabudhe, November 28, 2019, 12:58:55 PM

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Mrs. Rashmi Sahasrabudhe

आज कल बतीयाने की आदत
थोडी कम सी हो गई है |
खामोशीयोसे दोस्ती
जरा ज्यादा ही बढ गई है |
हम तुम जब मिलते थे
तो बोहोत बतीयाते थे
तू दस मै चार पाँच
ल्फज बोला करती थि|
भले ही अर्थ ना हो उन बातो मे  कुछ
पर खुशीया बडी दे जाती थि|
तेरी मेरी गलिया तब एक ही चौराहे पर से गुजरती थि|
अब हालात इस कदर बदल गये है
कि तेरे ससुराल की गलिया
मेरे ससुराल के गलियो से परे है |
तब रोज मिलने वाले हम
आज अजनबी कि तरह
व्हाट्सअप पर मिल रहे है
इन बातो मे ऊन बातो जैसा मजा कहा
वो आवाजे तो अब भी कानो में गुंज रही है l 
इतनी भी मायूस ना हो पगली
देख इन आँखो मे मोती सी बुंदे जम रही है l
पोछ ले इन आसूंओंको देख दरवाजे पर
तेरे बेटी कि सहेली दस्तक दे रही है l
                                    - रश्मी गद्रे सहस्रबुद्धे.