सुहाग नही उजड़ा होता ........

Started by SHASHIKANT SHANDILE, February 15, 2020, 03:44:24 PM

Previous topic - Next topic

SHASHIKANT SHANDILE

नम आँखे उनकी कहती है
सुहाग नही उजड़ा होता
जो होते हात खुले सेना के
भारी मेरा पगड़ा होता

होती नियत साफ़ तुम्हारी
साजन मेरा जिंदा होता
सुहाग नही उजड़ा होता......

बोल दिया होता साजन को
दुश्मन घर घुस कर मारों
उनको प्यारा वतन था अपना
तुम ही गलत हो गद्दारों

थोड़ी निति बदल जो लेते
साजन मेरा जिंदा होता
सुहाग नही उजड़ा होता......

यहां तो सैनिक देश के खातिर
कफ़न बांधकर लड़ते है
तुम को बस प्यारी सियासत
खुर्ची खातिर झगड़ते है

ख्याल अगर थोड़ा रख लेते
देश को जो अपना कह लेते
साजन मेरा जिंदा होता
मेरा सुहाग नही उजड़ा होता......
-------------------//**--
शशिकांत शांडिले, नागपुर (एकांत)
भ्र.९९७५९९५४५०
Its Just My Word's

शब्द माझे!