कश्मकश ??

Started by Ashok_rokade24, April 12, 2020, 06:04:24 AM

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Ashok_rokade24

कश्मकश इन्कार और इकरार की ,
बस यादे रह गयी हर पल की ,
समय तो निकल गया हाथोसे ,
रफतार थम गयी जिंदगी की ॥

इकरार का इन्तजार न कियाँ ,
इन्कार खामोशी को समझ लियाँ ,
निकल गये जैसे कभी मिले नही ,
ले गये खुशीयाँ उम्र भर   की ॥

न कोई आँधी चली न कोई तुफान ,
टूटे रिश्ते बिखर गये अरमान ,
बस देखते देखते बदला मौसम,     
दुनियाँ ऊजड गयी सपनोकी ॥   

हमने कभी इन्कार किया नही ,
इकरार जुबाँ पर आया नही ,
कश्मकश में उलझी जिंदगी
साथ मिली हैं अब तनहाँई की ॥   

                 अशोक मु.रोकडे.
                  मुंबई.