त्रिभुवन दाता

Started by शिवाजी सांगळे, May 02, 2020, 05:37:26 PM

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शिवाजी सांगळे

त्रिभुवन दाता

जय गिरधर गोपाल, तुम त्रिभुवन दाता
नितदिन सेवा में तुम्हरी, मेरा मन रमता || धृ ||

यशोदा प्रिय तुम नटखट दुलारे
माखन चोरी खेल तुमको प्यारे
ग्वालों संग वनवन गाय चराता
गोपियों संग खुब रास रचियता
जय गिरधर गोपाल, तुम त्रिभुवन दाता || १ ||

गैयन कों भुलाएं बांसुरी तुम्हरी
हे नंदलाल, अनिरुद्ध, चक्रधारी
द्रोपदी के हुये तुम तारण हरता
पांडवोंके रहें शुभचिंतक भ्राता
जय गिरधर गोपाल, तुम त्रिभुवन दाता || २ ||

पालनहार सुनलो विनती हमारी
रहे कष्ट में हमे नित मदद तुम्हारी
युद्ध भूमि पर गीता ज्ञान बांटता
कहें 'शिव' तुम हो मानव उध्दारता
जय गिरधर गोपाल, तुम त्रिभुवन दाता || ३ ||

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