COVID 19 का चंगुल ..

Started by puneumesh, May 15, 2020, 12:07:51 PM

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puneumesh

आशा है और ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ के आप सभी स्वस्थ और मस्त रहें
कईं महीनों के बाद एक रचना आप के सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ
उम्मीद है पसंद आएगी

COVID 19 का चंगुल ..

COVID 19 के चंगुल में
आप सभी का स्वागत करता हूँ।,
पट्टी बांधो मुहं पर अपनी
धोबी पछाड़ के दिखलाता हूँ ।

सुर में सुर मिलाना भूल गए,
सब सूरमा बनकर घूमते  थे।
निकल गयी सारी हेकड़ी तुम्हारी,
कैसे अकड़के चलते थे।

गांवों के गलियारों में
ख़ुशी की लहरें चलती थी |
खेतों में हर रानी,
राजा के संग गाती थी।

शहरों को बसाते बसाते
गांवों की बलि चढ़ाई थी |
शहरों की खाक छान ने वाली,
सावन के झूले झूलती थी।

इस राह पर चलते चलते,
ये दिन तो आना ही था |
कब्रों पर महल बनाते बनाते, 
महल का कब्र तो होना ही था।

अजीब अजीब मंज़र दिखा गई, 
नामुमकिन को मुमकिन बना गई |
गुलाम बेगम बादशाह को,
फ़क़ीर बना कर चली गई।

सच्चों की जय जयकार,
झूटों की पहचान करवा के चली गई |
आस्तीन के सभी सापों को,
बेनकाब करवा के चली गई ।

नेताओं के क्या केहने,
बेमतलब के सौ मतलब ढूंढ लेते हैं ।
नोट और वोटों के बीच में,
सारी दुनिया नाप लेते हैं।

चंद पैसों के लालच में,
धरती को इतना पीटा-घसीटा है।
ये बेजुबान सेहती रहेगी,
ऐसा दिन रात हमने सोचा है।

रब से उलझने का अंजाम,
क्या उसने बतलाया नहीं।
सैलाब तूफ़ान सुनामी,
क्या उसने दिखलाया नहीं।

ये सफर तो कटना ही था,
जैसे तैसे संभल ही जायेंगे।
इससे जालिम और हैं तैयार,
उनसे कैसे बच पाएंगे ।

इधर उधर की बातें छोड़ें,
गाड़ी जरा घर पे मोड़ें।
परिवार और खुद पे वक़्त बिताएं,
भगवान के आगे दिया जलाएं।

.. उमेश व्ही कुलकर्णी 15 May 2020