कोरोना

Started by Aaryaa, August 08, 2020, 03:48:29 PM

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Aaryaa

कोरोना कोरोना क्या तेरा केहना,
परदेसी है तू , लौट के जा ,
जिना है हमे ,थोडा रेहेम करती जा .....

मुसाफिर थे वो, जो लेके तुझे आए ,
पढाई ,जॉब के लिये आंगण तेरे आये ,
खुशियो कि लकिर झट से तुने मिटा के  ,
दुःख कि दरिया मे सबको डुबा के ,
हराम किया तुने हमारा जीना ,
कोरोना कोरोना क्या तेरा केहना,

लौकडाउन  का सूनके  नाम ,
दिल हो गया बागबान ,
बीते दिन, बीती राते ,समज आई अब सारी बाते .

अमिरो  के घर खाने -खजानो कि दिवाली  थी ,
मिड्ल क्लास मे रोटी थोडी कम थी ,
गरिबो  का तो पॅटर्न हि कूछ अलग था ,
रोटी बिना जिना मौत के घाट उतरणा  था ,

होश तो तब आया ,जब पेशन्ट बढते गये ,
ईएमई का टेन्शन,पापा कि पेन्शिन ,
कैसे रहे 'आत्म निर्भर "ये भी करो मेंशन .

मार्च से जून बित गये  महिने ,
लौकडाउन खुला तो बाहर निकले  टहलने ,
सोशल डिस्टंसिन्ग ने खूब रुलाया ,
दोस्त के कँधे पर रोना भुलाया ,

खडे है हम अपनी "आत्म निर्भरता " से ,
जुदा  जो हुए रिश्ते दारो से ,
जाना होगा तुझे लौट  के परदेस ,
चीन हि है तेरा पर्मनंट ऍड्रेस.


- पूजा सुशील जाधव (चिऊ)