ये जिंदगी

Started by मोतिदास उके साहिल, September 16, 2020, 07:21:54 AM

Previous topic - Next topic

ये जिंदगी,,,,

ये जिंदगी, तु अगर है सवेरा

तो किरणें इतनी मजबूर क्यों?

तु अगर है साँझ

तो इतनी मशहूर क्यों?

तु अगर है सच्चा वादा

तो ये झूठा इरादा क्यों?

तु अगर है हसीन ख्वाब

तो ये ख्वाब आधा क्यों?

तु अगर है राह

तो गम-ए-हमसफर क्यों?

तु अगर चाह है

तो बेवफा ये मंजर क्यो?

ये जिंदगी,तु अगर है गुनाह,

तो ये गुनाह हमसे हुआ क्यों?

तु अगर है पनाह

दिल मे गमो का घर क्यों?



मोतिदास अ. उके "साहिल"