सद्गुरू हाचि देव पांडुरंग

Started by हिंगे निलेश महर्षीकाशिनाथ, September 23, 2020, 07:54:19 AM

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*कविता क्र. १४*

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*सद्गुरू हाचि देव पांडुरंग।*
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*प्रेम भाव भक्तीचे ते अंग*
*नाम शशीधर सोहतंग*
*नित्य आत्म दिनी नाचे पांडुरंग*
*वेद वाचे बोल सुखद अभंग*
*सद्गुरू हाचि देव पांडुरंग*
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*कळसी वेळ भाव नाम श्रीरंग।*
*ब्रम्ह रूपक रोपविले अंग।*
*चैतन्य दातृत्व माया निर्धारंग*
*वाळवंट दावी वाट निर्बंध*
*सद्गुरू हाचि देव पांडुरंग*
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*अनुभवा अनुभवी आत्म दृष्टांतिग*
*सत्य वाटे परब्रह्म उभा भेटी ब्रम्हंग*
*विघ्न मूर्ती नारायण संकष्टी विरंग*
*कीर्तन भजन नित्य दिनी चांग।*
*सद्गुरू हाचि देव पांडुरंग*
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*देह कुंडलिक चक्र जागे अंग*
*सद्गुरू संग नाम देई रंग*
*कर्म प्रवाह देहांतीक तेजोतिग*
*हुं यं रं लं वं सः हं क्ष जागे नामंग*
*सद्गुरू हाचि देव पांडुरंग*
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*हेचि तेज बळ जीविताचे अंग*
*कर्म निमूर्तीक वंदे पाय देहांग*
*देह दिव्य पण कर्म किर्तीवंत*
*डोळा दावे रूप अपुलेची आत्मंग*
*सद्गुरू हाचि देव पांडुरंग।*
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*लेखक:हिंगे निलेश महर्षिकाशिनाथ*
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