गीध ??

Started by Ashok_rokade24, October 05, 2020, 10:04:41 PM

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Ashok_rokade24

पेड पौधोंसे भरा ये जँगल ,
खुबसूरत कितनी वादी है ,
दाल दाल पे मासूम परिंदे ,
हरतरफ  खुशहाली है ॥

दरिंदगी भरा गीध है ,
सोच ऊसकी वहशी है ,
चिल कौवे साथ उसके ,
चिडियाँ सहमी बैठी है ॥

कई चिडियाँ मासूमसी ,
भक्ष दरिंदो का बनी है ,
परिंदे हजारो जंगल में ,
कैसे डरावनी जिंदगी है ॥

कबतक चलेगी मनमानी ,
इन्साफ  कुदरत करती है ,
इतना जानो ईस जंगल में ,
शेर हाथीयों की भी बस्ती है ॥

इक दिन जागेगा  शेर ,
हाथीभी खौल ऊठेंगे ,
जब लांधेंगा सीमा अन्याय ,
मशाल क्रांती की जलती है ॥

अशोक मु.रोकडे.
मुंबई.