घेरे में

Started by शिवाजी सांगळे, October 23, 2020, 02:33:03 PM

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शिवाजी सांगळे

घेरे में

ना तुम बदले, ना मैं नये भेस में हूँ
कुछ बदलें वक्त के बिगडे घेरे में हूँ

उम्र गुजरी साथ हमसफ़र-ए-ज़िन्दगी
निभा रहा हूँ फिरभी तुझसे ही बंदगी
मोड पर खडा, टेढ़ी-मेढ़ी राह में हूँ
कुछ बदलें वक्त के...

ख्वाब सारे, अरमान बरकरार है मेरे
अब इंतजार तेरा, करने को इन्हें पूरे
हटेगी कब दूरियां? इकरार में हूँ
कुछ बदलें वक्त के...

हर वक्त सोचता हूँ तोड दूँ रिश्ता तेरा
मेरा जो होगा सो होगा क्या होगा तेरा
जानने के लिए सच, तैयारी में हूँ
कुछ बदलें वक्त के...

©शिवाजी सांगळे 🦋
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