उम्र का सफ़र

Started by शिवाजी सांगळे, October 25, 2020, 11:46:18 PM

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शिवाजी सांगळे

उम्र का सफ़र

समझो उम्र का सफ़र कैसे गुज़रा
आज का दिन भी तेरे बिन गुज़रा

रहता है इंतजार तनहाई के साथ
एक एक पल भी सालों सा गुज़रा

बागीचे पर भले था रुख हवा का
वसंत फूलोंका ख़ुशबू बगैर गुज़रा

बादल घिर आए फिरसे आज यहां
और बिन बारिश वक्त सारा गुज़रा

समझो उम्र का सफ़र कैसे गुज़रा
आज का दिन भी तेरे बिन गुज़रा

©शिवाजी सांगळे 🦋
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