गयें कहां

Started by शिवाजी सांगळे, November 07, 2020, 11:08:59 PM

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शिवाजी सांगळे

गयें कहां

वो कसमें वो वादें सारे गयें कहां
क्यूँ ऐसा, क्या कुछ भी नहीं रहां

फस गए हम कौनसी उलझनों में
सवाल यही हर बार क्यूँ हैं मन में
कहने को सचमें कुछभी नहीं रहां
वो कसमें वो वादें...

उम्मीद थी बदलेंगे ये हालात भी
हासिल न हुआ सोचके कुछ भी
नहीं पता चाह दिलसे गई है कहां
वो कसमें वो वादें...

माना अब अलग हुई राहें हमारी
यादों संग क्या गुजरेगी उम्र सारी
भूलेंगे कैसे हम जो भी सुना कहा
वो कसमें वो वादें...

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