चलना है

Started by शिवाजी सांगळे, November 16, 2020, 04:32:16 PM

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शिवाजी सांगळे

चलना है

मंज़िल का तो पता नहीं पर चलना है
अच्छा बुरा जो मिलें उनको मिलना है

चाहकर भी ना मै छोडूं अधूरी
राह लिखी जो किस्मत ने मेरी
साथ जीवनभर ये अपनाना है
मंज़िल का तो पता नहीं...

पलभर के यहां सब नाते रिश्ते
स्वार्थ में संगी साथी करें नमस्ते
सारा ये मतलब भरा जमाना है
मंज़िल का तो पता नहीं...

सच्चा रिश्ता एक है कुदरत से
जोडता सीधे उस उपरवाले से
जीसे किसी ने कहां पहचाना है
मंज़िल का तो पता नहीं...

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