अंदाज

Started by शिवाजी सांगळे, November 29, 2020, 06:43:28 PM

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शिवाजी सांगळे

अंदाज

जीने का अंदाज यूँ बदल गया
इक पल जो हाथ से छूट गया

पल कितने आएं गए सुख दुखों के
चाहता था रोकना फिरभी ना रूके
अजीब मुकाबला उन संग हो गया
जीने का अंदाज...

हारना तो नहीं था मंजूर मुझे कभी
थी चुनौतियां सामनें मेरे जब कभी
लो एक मौका मुझे नया मिल गया
जीने का अंदाज...

रूप अनोखा इस रंगीन दुनिया का
हररोज ढंग नया सीखाती जीने का
बताओं कौनसा रूप समझमें आया
जीने का अंदाज...

©शिवाजी सांगळे 🦋papillon
संपर्क: +९१ ९५४५९७६५८९
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