अभी अभी

Started by शिवाजी सांगळे, December 20, 2020, 05:59:32 PM

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शिवाजी सांगळे

अभी अभी

तेरे शहर में खुद को भुल आया अभी
कुछ हसीन यादों को छोड़ आया अभी

चूरा लूं हवा मै सोचू तेरे इस शहर कि
सोचतेहीं देखो मौसम पलट गया अभी

जादू ये कैसा छाया मेरें दिवानेपन का
रास्ताभी यहां धुंध में लिपट गया अभी

बस् हो गई, अब सारी यह ताकाझांकी
हर राज़ तेरे शहर का जान लिया अभी

खैर छोडो लगा रहेगा अब आना जाना
मोड तेरी गली का देखनेमें आया अभी

©शिवाजी सांगळे 🦋papillon
संपर्क: +९१ ९५४५९७६५८९
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