निळोबाची अभंग वाणी

Started by हिंगे निलेश महर्षीकाशिनाथ, February 19, 2021, 09:22:22 PM

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 🚩💐🌼🌹🌸🍁🌺🌷 *जय श्री ब्रम्हदेव।* *संचारली माय देहाचे अंगुणी झरे वाही वेद आत्म सुखी।ब्रम्हदेव नामी सरस्वती सखी प्रेम पझरती बोल मुखी।🚩🚩🚩🌷🍁🌺🌸🌼🌹💐💐*

🙏🏻🚩🌷🌺🍁🌸🌹🌼 *जय श्री ब्रम्हदेव।*  *ब्रम्हदेव नामी आम्ही आत्म सुखी हरि ओवाळणी नित्य दिनी।आत्म प्रगटून नित्य वेद बोली कीर्ती प्रारब्धी प्रपंच निवारूनी।।*🙏🏻🌷🌺🚩🍁🌸🌹🌼

*🙏🏻🌷🌺🚩🍁🌸🌹🌼 श्री ब्रम्हदेव।* *देव गेला झोपी करोनाचे काळी आयसी बोली जगी देहा देही।देव न कळला तयाचिया देहा आत्म जिवी जन राबयेला।*🙏🏻🌷🌺🚩🍁🌸🌹🌼

*जय श्री ब्रम्हदेव।*🙏🏻🚩🌼🌹🌸🍁🌺🌷💐 *ठासविला देव आत्म गाभारी सुखा नंद देई वेद वाणी।आयसी न वाणी कोणा नशिबाची भक्ती गंगा वाहे शिव जटाची।*

🙏🏻🚩🌷🌺🍁🌸🌹🌼💐 *जय श्री ब्रम्हदेव।* *निळोबाची आत्मा धरूनिया देव बोलता वेद जगता माजी।संचित साठले आत्म जोडले परब्रह्म वेद मुखी प्रगटले।🙏🏻🌼🌹🌸🍁🌺🌷💐🚩🚩🚩*