विषय -मनुष्य की स्पर्धा का आखरी परिणाम - "अब कहने को क्या बचा है "

Started by Atul Kaviraje, May 22, 2021, 01:57:19 PM

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Atul Kaviraje

                    विषय -मनुष्य  की स्पर्धा  का  आखरी  परिणाम

                            "अब  कहने  को  क्या  बचा  है "
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   यह प्रकृती  का  विधान  है
   यह  सब  उसीका  रचा  है
   आखिर  होता  ही क्यो ऐसा
   अब  कहने  को  क्या  बचा  है .

   मनुष्य  ही  मनुष्य  का  शत्रू  है
   आखिर  क्या  चाहता  है  वो
   इस  जंग  में क्या  हासील
   उसने  अब  तक   नही  सोचा  है .

   क्यो  होता  है  ऐसा  बर्ताव
   क्या  उसे  नही  मिली  है  सिख
   यह  नियम  सिर्फ  उसी  को  लागू  है
   क्या  कभी  किसीसे  उसने  पूछा  है .

   बुद्धी -जीवी  प्राणीयो  में  सर्व -श्रेष्ठ
   उंची  उडान  , भविष्य  का  वेध
   पर  वही  मतलबी , स्पर्धा  प्रवृत्ती
   उसके  जीने  का  क्या  यही  ढांचा  है .

   अपने ही  हाथो  से  अपना  ही  विनाश
   उसकी  समझ  में  आता  काश
   लेकिन  बहोत  देर  हो  चुकी  है  अब
   अब  कहने  को  क्या  बचा  है .


-----श्री अतुल एस परब
-----शनिवार=22.05.2021