बरसात -कविता - " रिमझिम के तराने लेकर आई बरसात "

Started by Atul Kaviraje, May 30, 2021, 11:56:41 PM

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Atul Kaviraje

     मित्रो, आसमान में बारिश के आसार  नजर आ रहे  है. काली घटाये  उमड - घुमड कर  छा रही है. बादल गरज तो जरूर रहे है, पर बरस नही रहे है. मित्रो, यह गर्मी में हमें यही एक उमीद है, कि कब वर्षा रानी हम सभीपर प्रसन्न हो, और अपने वरदान कि बौछार हम पर कर दे.

     तो मित्रो, आओ चाले, ऊस वर्षा देवी, बरखा रानी के स्वागत कि तैयारी करते है. मन हि मन उसकी पूजा करते है, जीवनदायी, अंतरात्मा को शांत करनेवाली, ऐसी उसकी जलधारा को देखने, उसकी स्तुती करते है, एवं कामना करते है, वो हम  सब पर जल्द हि अपनी कृपा जताये.

      मित्रो, तो सुनियें, ऊस बरखा रानी के स्वागत पर मेरी रची हुई एक कविता, जो आपके दिल को जरूर भा जायेगी.


                     बरसात -कविता

          " रिमझिम  के  तराने  लेकर  आई  बरसात "
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     नित  नये  तराने  लेती  तू  आ
     नित  नये  गीत  गाती  तू  आ
     महकाती ,मदमाती  खुशबू  लिये ,
           सांसो  में  समा  जा ,
                बरखा रानी  तू  बरसती आ .

     देख  तुझे  कैसे  सुमन  खिलें
     अंग -अंग  में  जैसे  मधू  रस  घुले ,
          ऐसे  तू  तन -बदन में  छा  जा .

     सर्द  हवा  के  झोके  तू  लेती  आ
     रोम -रोम  में  मिठी  सिहरन तू  देती  आ
     मन -मयुरा  मेरा  डोले  देख  तुझे ,
           ऐसी  उमंग  मन  में  तू  जगाती  आ .

     लहरातें  खेतो  में  सरसराती  हुई
     खलीहानों को  हरियाली  देती  हुई
          भिनि -भिनि  मिट्टी -गंध  लिये  महकाती आ .

     मायूस  दिल  को  दिलासा  देती  हुई
     तमनाओ को  साकार  करती  हुई
         जीवन  का अभिन्न अंग  बनकर  तू  आ .

     समुंदर  में  उफान  उठाती
     सागर -सरिता  का  मिलन  कराती
          तृषार्त  धराकी  प्यास  बुझाती  आ .

     बादलों  से  अमृत -धारा  बहाती
     सुधा -जल  बुंदोसे  जीवन  दिलाती
     रिम -झिम, रिम -झिम  ऋतू -गीत  तू  गाती  आ ,
         बहारों  कि  रानी ,
              बरखा रानी , तू  बरसती आ .
                                                तू  बरसती आ .

-----श्री अतुल एस परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-30.05.2021-रविवार.