चारोळ्या पावसाच्या - भाग -६

Started by Atul Kaviraje, June 18, 2021, 01:28:58 AM

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Atul Kaviraje

                     चारोळ्या  पावसाच्या - भाग -६ 
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पाउस व दंव-बिंदू
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दंव-बिंदू दिमाखात डोलत होते
पाना-फुलांना डोलवित होते
पर्जन्य-बिंदूची चाहूल लागता,
त्यांचे स्वागत करीत होते.


पाउस व मृत्तिका
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अमृत-थेंब अंगावरी घेउनी
वाट हि पावन झाली,
मृद-गंधाची सुरभी पसरवून,
माती हि पहा धन्य झाली.

पाउस व धुके
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पहाट झाली, पसरले धुके
दाट-पांढरे, झाले क्षितिजही फिके
परी चाहूल लागता , पर्जन्याची,
विरले पहाता, हलके-हलके.

पाउस व हिरवळ
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हरित तृणांची मखमल पसरली
हिरवीगार जणू शेजच सजली
अमृत-थेंब झेलीत तनुवरी,
हिरवळ हि मोदे डोलू लागली.

पाउस व द्वेष
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पाउस आला जोडीत नाते
करीत जल-कुंभ प्रेमाचे रिते
द्वेष-आकस, सारीत दूर
मनास हर्षाचे देत भरते.


-----श्री अतुल एस परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-18.06.2021-शुक्रवार.