बिरह कविता - "तेरी यादों में खोकर"

Started by Atul Kaviraje, June 27, 2021, 12:50:45 AM

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Atul Kaviraje

मित्रो,

     ये तनहाई दर्द देती है, रुलाती है, जीवन उदास कर देती है . जी हा मैं बात कर रहा हू, ऊन यादों कि , ऊन पलो कि  जो हमें इससे पहिले छोड चुके है, अब यह वीरान जिंदगी, यह तन्हाई, कसोस रही है, मन को उदास कर रही है, मन मसोस रही है.

     अब मिलना मुश्किल हि नाही, नामूमकिनसा लगता है ,अब यादों के सहारे हि जीना है, अब आसूंओंके के सहारे हि जिंदगी गुजारनी  है, मित्रो, यही तनहाई, यही उदासी, यही दुःख को मैने मेरे प्रस्तुत कविता में दिखाने का प्रयास किया है. मेरी प्रस्तुत कविता का शीर्षक है - "तेरी यादों में खोकर"

                          बिरह कविता
                     "तेरी यादों में खोकर"
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तेरी यादोमे खो कर
आज बरबस आंखे छलक उठी
बिछडनेका का गम लिये,
उदास सी हु मै बैठी.

तू भी तो वहा खडा है
गम का दरिया अपनाये
ये कैसा मंजर है,
जो दे रहा है हमे सजाये.

यह तनहाई हमे
किस मोड पर ले जायेगी
ये अकेला पन कभी,
दे भी जायेगा रूसवाई.

अब इन आसूओंका ही सहारा है
इस वीरान जिंदगीमे
मुश्कील है अब मिलना,
जिंदगी गुजार लुंगी किसी तरह मै.


-----श्री अतुल एस परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-27.06.2021-रविवार.
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