हौसला-मंद कविता - "उफानता दरिया, लहराता समुंदर, ए नाविक तू रुक ना जाना हारकर "

Started by Atul Kaviraje, July 04, 2021, 01:34:58 AM

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Atul Kaviraje

मित्रो,

    मुश्किले  तो सभी के जीवन मे आनी चाहिये, सभीको इसका एक अनुभव होना चाहिये, वरन ये जिना तो क्या जिना, जीन्होने मुश्किलो का सामना नही किया. इन मुश्किलो के कटीले रास्तो को पार कर के हि हमे वो साफ सुथरी डगर मिल जायेगी, जो हमे एक नये जीवन कि ओर ले जायेगी.

          मेरी प्रस्तुत कविता, इसी विषय पर है, समंदर का बढिया उदाहरण देकर मैने इस कविता में चार चांद लगाये है. अनेको मुश्कीलो को पार करने का इससे अच्छा उदाहरण होही नहीं सकता. और प्रस्तावना देने कि जरुरत नहीं है, आप खुद ही समझ जायेंगे इस कविता को पढकर. मेरी, इस कविता का शीर्षक है - "उफानता दरिया, लहराता समुंदर, ए नाविक तू रुक ना जाना हारकर "

                               हौसला-मंद कविता
  "उफानता दरिया, लहराता समुंदर, ए नाविक तू रुक ना जाना हारकर "
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अब भी  किनारा है उस पार
अभी तू हौसला मत हार
कितना  भी तुफान आये समुंदर मे,
अब भी तेरे  हाथो मे है पतवार.


उफानता दरिया, लहराता समुंदर
भयंकर बाढ, पानी का बवंडर
पार जाना है तुझे किसी भी तरह,
इस डगमगाती नैया सम्हाले.


एक क्षण  ऐसा भी आयेगा
खुद समुंदर तुझसे शर्मायेगा
तेरी इस हीमत को दाद देते,
वो खुद ही हट जायेगा.


अथक प्रयत्न के बिना
कुछ भी हासील नही
उम्मीदो के साथ चलते,
कोई भी राह मुश्कील नही.


-----श्री अतुल एस परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-04.07.2021-रविवार.