चारोळ्या पावसाच्या-भाग -८

Started by Atul Kaviraje, July 06, 2021, 01:12:49 AM

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Atul Kaviraje

             चारोळ्या पावसाच्या-भाग -८
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        1) पाऊस  व  चहा
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  पाऊस  नुसता  पहावासा  वाटतो
  पाऊस  नुसता  ऐकावासा  वाटतो
  बाकी  काही  नसले  तरी  चालेल ,
  फक्त  गरम  चहाचा  कप  हाती  लागतो.

   2) पावसाचे  बोट
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  पाऊस  माझे  मन  जाणतो
  पाऊस  माझे  म्हणणे  ऐकतो
  पावसाचे  बोट  धरून  मी ,
  तासन -तास  भिजत  चालतो . 

       3) अंगण  व  पाऊस
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  डोंगर -माथी कृष्ण -झाकोळी आली
  सोसाट -शीतल पवने झाडेही डोलली
  ट प -ट प वर्षेची ओल -सान पाऊले,
  माझ्या अंगणी नाचू -बागडू लागली . 

   4) पाऊस  व  अश्रू
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  तो   तर  केव्हाच  आला  होता
  ज्यासाठी नयनी अश्रू -नौका अवतरली
  अबोल-बोली ,तृष्ण -तृप्त -हस्त -कर -तला ने,   
  त्याने माझी आसवे अलगद टिपली .   

    5) पावसाशी  नाते
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  पिता  तू ,भ्राता  तू ,माता  तू ,भगिनी  तू
  कर्ता तू ,करविता तू ,घडता तू ,घडविता तू
  जोडली  तुझ्यासवे  विशेष (णे) नाती,
  माझा  खरा  देव, विधी -विधाता  तू .   


-----श्री अतुल एस परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-06.07.2021-मंगळवार.