II जय श्री शनी देव II - "शनि देव आरती ( शनिदेवाची आरती )"

Started by Atul Kaviraje, July 24, 2021, 05:58:29 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

                        II जय श्री शनी देव II
              "शनि देव आरती ( शनिदेवाची आरती )"
             ------------------------------------

जय जय श्री शनीदेवा |
पद्मकर शिरी ठेवा आरती ओवाळतो |
मनोभावे करुनी सेवा || धृ ||

सुर्यसुता शनिमूर्ती |
तुझी अगाध कीर्ति एकमुखे काय वर्णू |
शेषा न चले स्फुर्ती || जय || १ ||

नवग्रहांमाजी श्रेष्ठ |
पराक्रम थोर तुझा ज्यावरी कृपा करिसी |
होय रंकाचा राजा || जय || २ ||

विक्रमासारिखा हो |
शककरता पुण्यराशी गर्व धरिता शिक्षा केली |
बहु छळीयेले त्यासी || जय || ३ ||

शंकराच्या वरदाने |
गर्व रावणाने केला साडेसाती येता त्यासी |
समूळ नाशासी नेला || जय || ४ ||

प्रत्यक्ष गुरुनाथ |
चमत्कार दावियेला नेऊनि शुळापाशी |
पुन्हा सन्मान केला || जय || ५ ||

ऐसे गुण किती गाऊ |
धणी न पुरे गातां कृपा करि दिनांवरी |
महाराजा समर्था || जय || ६ ||

दोन्ही कर जोडनियां |
रुक्मालीन सदा पायी प्रसाद हाची मागे |
उदय काळ सौख्यदावी || जय || ७ ||

जय जय श्री शनीदेवा |
पद्मकर शिरी ठेवा आरती ओवाळीतो |
मनोभावे करुनी सेवा ||


-----संकलन
-----श्री अतुल एस परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-24.07.2021-शनिवार.