II जय अंबे मा II - "दुर्गे दुर्घट भारी तुजविण संसारी"

Started by Atul Kaviraje, July 30, 2021, 11:25:03 PM

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Atul Kaviraje

मित्र/मैत्रिणींनो,   

     आज शुक्रवार देवीचा वार. सादर करीत आहे अंबे मा ची आरती. या आरतीचे बोल
आहेत- "दुर्गे दुर्घट भारी तुजविण संसारी"
     
                        II जय अंबे मा II
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                 "दुर्गे दुर्घट भारी तुजविण संसारी"
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दुर्गे दुर्घट भारी तुजविण संसारी
अनाथ नाथे अंबे करुणा विस्तारी।
वारी वारी जन्म मरणांते वारी।
हारी पडलो आता संकट निवारी॥१॥

जय देवी जय देवी महिषा सुरमथिनी।
सुरवर ईश्र्वर वरदे तारक संजीवनी॥धृ॥

तुजवीण भुवनी पाहता तुज ऐसे नाही।
चारी श्रमले परंतु न बोलवे काही।
साही विवाद करिता पडले प्रवाही।
ते तू भक्तालागी पावसी लवलाही॥२॥

प्रसन्न वदने प्रसन्न होती निजदासा।
क्लेशांपासूनी सोडवी तोडी भवपाशा।
अंबे तुजवाचून कोण पुरवील आशा।
नरहरी तल्लीन झाला पदपंकजलेशा॥३॥


         (साभार आणि सौजन्य-मराठी .वेबदुनिया .कॉम)
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-----संकलन
-----श्री अतुल एस परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-30.07.2021-शुक्रवार.