मारुती स्तोत्र - "भीमरूपी महारुद्रा, वज्रहनुमान मारुती"

Started by Atul Kaviraje, July 31, 2021, 12:59:43 PM

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Atul Kaviraje

                                   II जय श्री हनुमान II
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मित्र/मैत्रिणींनो,

     आज शनिवार, श्री हनुमंताचा वार. आज मी तुम्हाला सुप्रसिद्ध श्री रामदास रचित मारुती-स्तोत्र एकवित आहे. या स्तोत्राचे बोल आहेत- "भीमरूपी महारुद्रा, वज्रहनुमान मारुती"


                               मारुती स्तोत्र
               "भीमरूपी महारुद्रा, वज्रहनुमान मारुती"
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भीमरूपी महारुद्रा, वज्रहनुमान मारुती |
वनारी अंजनीसूता रामदूता प्रभंजना ||१||

महाबळी प्राणदाता, सकळां उठती बळें |
सौख्यकारी दु:खहारी, धूर्त वैष्णवगायका ||२||

दीनानाथा हरीरूपा, सुंदरा जगदंतरा |
पातालदेवताहंता, भव्यसिंदूरलेपना ||३||

लोकनाथा जगन्नाथा, प्राणनाथा पुरातना |
पुण्यवंता पुण्यशीला, पावना पारितोषिका ||४||

ध्वजांगे उचली बाहो, आवेंशें लोटला पुढें |
काळाग्नी काळरुद्राग्नी, देखतां कांपती भयें ||५||

ब्रह्मांडे माईली नेणो, आंवळे दंतपंगती |
नेत्राग्नी चालिल्या ज्वाळा, भ्रुकुटी ताठिल्या बळें ||६||

पुच्छ ते मुरडिले माथां, किरीटी कुंडले बरीं |
सुवर्ण कटी कांसोटी, घंटा किंकिणी नागरा ||७||

ठकारे पर्वता ऐसा, नेटका सडपातळू |
चपळांग पाहतां मोठे, महाविद्युल्लतेपरी ||८||

कोटिच्या कोटि उड्डाणें, झेपावे उत्तरेकडे |
मंद्रादिसारखा द्रोणू, क्रोधे उत्पाटिला बळें ||९||

आणिला मागुतीं नेला, आला गेला मनोगती |
मनासी टाकिले मागे, गतीसी तुळणा नसे ||१०||

अणूपासोनि ब्रह्मांडाएवढा होत जातसे |
तयासी तुळणा कोठे, मेरु मंदार धाकुटे ||११||

ब्रह्मांडाभोवते वेढे, वज्रपुच्छें करू शकें |
तयासी तुलना कैची, ब्रह्मांडी पाहता नसे ||१२||

आरक्त देखिलें डोळा, ग्रासिलें सूर्यमंडळा |
वाढता वाढता वाढे, भेदिलें शून्यमंडळा ||१३||

धन धान्य, पशूवृद्धि, पुत्रपौत्र समस्तही |
पावती रूपविद्यादी, स्तोत्रपाठें करूनियां ||१४||

भूतप्रेत समंधादी, रोगव्याधी समस्तहीं |
नासती तूटती चिंता, आनंदे भीमदर्शनें ||१५||

हे धरा पंधरा श्र्लोकी, लाभली शोभली बरी |
दृढदेहो निसंदेहो, संख्या चन्द्रकळा गुणें ||१६||

रामदासी अग्रगण्यू, कपिकुळासि मंडणू |
रामरूपी अंतरात्मा, दर्शने दोष नासती ||१७||

॥ इति श्री रामदासकृतं संकटनिरसनं मारुतिस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥


      (साभार आणि सौजन्य-मिडीयम .कॉम @कुणालक्षीरसागर)
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-----संकलन
-----श्री अतुल एस परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-31.07.2021-शनिवार.